भारत में 5G इन्टरनेट

भारत में 5G इन्टरनेट



भारत में 5G इन्टरनेट के ट्रायल की मजूरी भारत सरकार ने दे दी है बहुत से लोगो को भारत में ५ग इंटरनेट सर्विस का इंतजार है उनका ये सपना 
जल्द ही सच होने वाला है क्योंकि,
सरकार ने भारत में 5G इंटरनेट तकनीक का ट्रायल शुरू करने की अनुमति दे दी है, काफी लंबे वक्त से टेलीकॉम कंपनीयां इसकी मांग कर रही थी। बता दें कि साल 2019 में सरकार ने दिल्ली में एक मोबाइल कांफ्रेंस की थी जिसमें एक निर्धारित क्षेत्र के भीतर इसके ट्रायल की अनुमति दी थी 

आखिर 5G क्या है और इससे हमारी जिंदगी पर क्या फर्क पड़ने वाला है ?

आने वाले समय में इंटरनेट की दुनिया काफी बदलने वाली है, यह सेहत के लिए नुकसानदायक है या नहीं। ऐसे ही कई सवालों के जवाब आज हम जानने वाले हैं।

सबसे पहले जानते हैं 5G के ट्रायल क्यों हो रहे हैं 
भारत सरकार ने 5G तकनीक की हाई स्पीड इंटरनेट के ट्रायल की मंजूरी टेलीकॉम कंपनियों को दे दी है दूरसंचार मंत्रालय के सचिव अंशु प्रकाश ने बताया कि इस तरह के ट्रायल बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। इनकी वजह से 5G सर्विस शुरू करने में जो गेप होता है वह काफी घट जाता है। 5G तकनीक का ट्रायल शुरू करने से यह आम लोगों तक जल्दी पहुंच जाएगा।

कहां होंगे 5G के ट्रायल

हर टेलीकॉम कंपनी को 5G टेक्नोलॉजी का ट्रायल गांव गांव, शहर, कस्बों में करना होगा। 5G तकनीक को सिर्फ शहरी क्षेत्रों तक ही सीमित नहीं रखा गया है। इसके लिए कंपनियां अपना तकनीकी सेटअप तैयार करने में लगी हुई है।
 भारत में 5G उपकरण लगाने के लिए टेलीकॉम कंपनियों को 2 महीने का समय दिया गया है।
 संचार मंत्रालय ने एक बयान से यह पता चलता है कि दूरसंचार कंपनियों को 5G के ट्रायल के लिए 6 महीने का वक्त दिया गया है। 
 हालांकि ट्रायल में इसका इस्तेमाल कुछ सीमित 5G डिवाइसेज तक ही होगा। 5G तकनीक से जुड़ा सारा डाटा भारत में स्थित किसी सर्वर में स्टोर किया जाएगा।

जानिए 5G का ट्रायल कोन कौनसी कंपनियां कर रही है

 देश में 5G के ट्रायल के लिए Airtel, Relience Jio, Vodafone, Idea, Mtnl जैसी कंपनियों ने आवेदन किया है। यह टेलीकॉम कंपनियां ही ट्रायल में हिस्सा लेंगी।
इन कंपनियों ने 5G उपकरणों लिए Nokia, Samsung, C -Dot जैसी कंपनियों के साथ डील किया है देश की सभी जानी-मानी टेलीकॉम कंपनियां इस ट्रायल में हिस्सा ले रही है।

 क्या कोई चाइनीज कंपनी भी इसमे शामिल है। 

चीन के साथ खराब रिश्तो के चलते चीन की दो बड़ी कंपनियों को इस ट्रायल से दूर रखा गया है। कंपनी का नाम है, हुआवेई और दूसरी है GTE
यह चीन ही नहीं बल्कि दुनिया में टेलीकॉम उपकरण बनाने वाली सबसे बड़ी कंपनियां है
भारत की किसी भी टेलीकॉम कंपनी ने इन दोनों ही कंपनियों के साथ ट्रायल का कोई भी अनुबंध नहीं किया है।
भारत सरकार चीन को इस 5G ट्रायल से दूर रखना चाहती है, इसी कारण से कंपनियों ने ऐसा कदम उठाया है।

 हालांकि इंडियन एक्सप्रेस टेलीकॉम डिपार्टमेंट के अधिकारियों के हवाले से ये पता चला है कि किसी भी टेलीकॉम कंपनी ने  हुआवे और GTE के उपकरण इस्तेमाल करने की इच्छा नहीं जताई है।

अब सवाल उठता है कि 5G के आने से स्पीड में ऐसा क्या फर्क पड़ जाएगा 

एक शब्द में कहे तो 5G मतलब तेज इंटरनेट स्पीड। 
 4G के मुकाबले करीब 100 गुना तेज। 
5G तकनीकी आने से फास्ट स्पीड इंटरनेट केवल Youtube, Netflix या विडियो देखने तक ही सीमित नहीं रहेगा बल्कि इससे देश को और भी ज्यादा फायदा होगा। 
मतलब की अपने आप चलने वाली कारे, स्मार्ट होम आदि जैसी चीजें भी आसान हो जाएगी।
 ये सभी तकनीक तैयार हुई पड़ी है। या अपने अंतिम चरण में है हमे भले ही 4G तकनीक भी तेज लगती हो लेकिन तकनीकी तौर पर ये उतनी ज्यादा फास्ट नही है।
आपने भी कभी यह महसूस किया होगा कि वीडियो कॉल करते समय कभी कभी आवाज और वीडियो एक साथ नही आती। 5G में इन्हीं तकनीकी खामियों पर जोड़ दिया गया है। सोच के देखिए ऐसे इंटरनेट के जरिए किसी कार को कमांड दिया जा रहा हो तो क्या हों कमांड में कुछ सेकंड की देरी भी जान खतरे में डाल सकती है। 
ऐसे ही कई काम है जिसके लिए बेहतर और तेज इंटरनेट की जरूरत है। हमारा ये सपना 5G साकार करेगा।

अब एक और सवाल आ रहा है कि 5Gके लिए अलग से टावर लगेंगे या 4G वालो से ही काम चल जाएगा।

5G सुनने में भले अब अगले स्टेज की तकनीक लगती है लेकिन इसके साथ बहुत सारा तामझाम जुड़ा हुआ है। 
इसे आप इस प्रकार से समझ सकते हैं। कि टेलीकॉम कंपनियां को 5G के लिए एंटीना और टावरों का सघन जाल फैलाना होगा ।
दूसरी बात यह है कि 5G के आने के बाद में 4G खत्म नहीं होगा । पहले की तरह नहीं होगा की 3G आया तो 2G को बंद कर दिया फिर 4G आया तो 3G को बंद कर दिया।
 इंटरनेट की 4G तकनीक रहने वाली है। इसके साथ ही एक हाई स्पीड इंटरनेट का जाल तैयार किया जाएगा।
5G की तकनीक में हाई Frequency रेडियो वेव्स का इस्तेमाल होगा जो कि पहले 4G और 3G में नहीं होती थी

यह High Frequency वाला फंडा अब आप उदाहरण से समझ जायेंगे। रेडियो पर पहले मीडियम वेव्स और शॉर्ट वेव्स पर विभिन्न इंडियन चैनल आते थे जो राजस्थान में ब्रॉडकास्ट होते थे और दिल्ली तक भी सुनाई देते थे । फिर आया बेहतरीन साउंड क्वालिटी FM रेडियो। लेकिन इसमें राजस्थान के रेडियो को राजस्थान में ही सुना जा सकता है। इसे दिल्ली में नहीं सुना जा सकता था । कारण FM रेडियो मीडियम वेव्स और शॉर्ट वेव्स के मुकाबले हाई फ्रिकवेंसी वेव्स पर काम करता है।
 हाई फ्रिकवेंसी वेव्स की रेंज काफी कम होती है। इन हाई फ्रिकवेंसी रेडियो वेव्स के साथ बस एक यही दिक्कत है। हाई फ्रिकवेंसी रेडियो वेव्स से बिना नुकसान के डाटा तेजी से एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजा जा सकता है। लेकिन यह बहुत ज्यादा दूर तक नहीं जा पाती। इन्हें रास्ते में दूसरी रुकावट को पार करने में दिक्कत होती है। कई बार बरसात, तूफान जैसी चीजें भी इन्हें आगे जाने से रोक सकती है। 
5G के टावर 4G के टावर के मुकाबले छोटे और ज्यादा पास पास होंगे। जहां एक 4G टावर से काम चलता था वहां अब 10, 5G टावर लगाने पड़ सकते हैं। हालांकि टावरों की संख्या लोकेशन और यूजर्स की सघनता पर पर भी निर्भर करेगी। 

5G  शरीर के लिए नुकसानदायक तो नहीं 

जब से वायरलेस तकनीक आई है लोगों के मन में एक भ्रम फैल गया है कि 5G की वजह से किसी भी चीज को छूने से करंट लग रहा है इस दावे की जांच करने पर यह गलत निकला।
 रेडिएशन के वहम को दिमाग से निकालने के लिए आपको उसके पीछे की साइंस समझनी होगी।
 रेडिएशन का मतलब होता है, एनर्जी का किसी भी माध्यम से बाहर आना ऐसा हर ऊर्जा के स्रोत से होता है। मतलब यह की आग जलने है तो उसमें से गर्मी निकलती है। यह एक प्रकार का रेडिएशन ही है।
 लेकिन कुछ तरह के रेडिएशन इंसान को बीमार कर सकते हैं, यहां तक कि जान भी ले सकते हैं । वह कौन से होते हैं।
 हम रेडिएशन को दो हिस्सों में बांट सकते हैं एक आयोनाइसिंग और दूसरा नॉन आयोनाइसिंग।
आयनाइजिंग रेडिएशन वह होता है जिसमें तरंगों की त्रिविता बहुत ज्यादा होती है। उदाहरण के तौर पर अल्ट्रावॉयलेट किरने जैसे एक्स-रे और गामा रे । 
यह शरीर को नुकसान पहुंचा सकती है शरीर की कोशिकाओं और डीएनए तक पर यह अपना असर छोड़ सकती है,
इसलिए ही कहा जाता है कि बार-बार एक्सरे ना कराएं यहां तक कि सूरज की रोशनी में भी ज्यादा देर तक बैठने को मना किया जाता है।

नॉन आयनाइजिंग रेडिएशन में तरंगों की तीव्रता काफी कम होती है। इन तरंगों में इतनी ताकत नहीं होती है कि शरीर के साथ कोई रिएक्शन कर सके मिसाल के तौर पर रेडियो वाले मीडियम वेव और FM वाली तरंगो का इस्तेमाल टीवी सिग्नल, सेलफोन, 4G तथा 5G तकनीक में होता है। 
अमेरिकन कैंसर सोसायटी ने अपनी कई वर्षों की स्टडी में यह पाया कि इसका इंसानों पर कोई भी बुरा प्रभाव नहीं पड़ रहा है

बहुत सारे लोगो के दिमाग में ये सवाल आ रहा होगा की 5G डाटा भारत में कितने रुपए का पड़ेगा।

 इसका अंदाजा अभी से लगाना थोड़ा मुश्किल है। लेकिन  भारत में इंटरनेट डाटा को लेकर पहले ही काफी कॉन्पिटिशन है ऐसे में 4G  के मुकाबले 5G डाटा बहुत ज्यादा महंगा नहीं होगा। 

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